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किसानों से छुड़ाई जाएगी तंबाकू खेती की 'लत'
एटा: लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए तंबाकू का सेवन न करने के लिए जागरूकता को शासन-
जागरण संवाददाता, एटा:
लोगों के बेहतर
स्वास्थ्य के लिए तंबाकू
का सेवन न
करने के लिए
जागरूकता को शासन-प्रशासन के
प्रयास जारी हैं।
अब तंबाकू की
खेती से भी
किसानों और क्षेत्र के
लोगों पर विपरीत
असर मानते हुए
किसानों से तंबाकू की
खेती छोड़ने को
कृषि महकमा जुटेगा। इसके
लिए विकास और
कृषि प्रसार विभाग
द्वारा संयुक्त रूप
से तंबाकू की
खेती से किसानों का
मोहभंग करने के
लिए पहल की
गई है। जो
किसान तंबाकू उत्पादन करते
हैं, उन्हें अच्छे
लाभ और स्वास्थ्य पर
कोई भी नकारात्मक असर
न डालने वाली
फसलों के प्रति
आकर्षित किया जाएगा। प्रथम
चरण के तहत
जिले के दो
दर्जन ग्रामों को
इस पहल के
तहत चिन्हित किया
है।
वैसे तो जिले
की सभी तहसीलों में
ही कहीं न
कहीं किसान तंबाकू
की खेती करते
चले आ रहे
हैं। खासकर अलीगंज
तहसील में ही
तीन हजार हेक्टेयर से
ज्यादा तंबाकू की
खेती हर साल
की जाती है।
चूंकि किसानों को
अच्छी फसल और
बाजार मूल्य अच्छा
मिल जाए तो
20 से
25 हजार
रुपये प्रति बीघा
तक की आमदनी
हो जाती है।
कभी-कभी प्रकृति का
साथ न मिले
तो मुश्किलें भी
होती हैं, लेकिन
इन क्षेत्रों में
तंबाकू की खेती
परंपरागत रूप ले चुकी
है। इसके अलावा
सकीट, जलेसर, मारहरा,
शीतलपुर में भी कुछेक
किसानों को तंबाकू की
खेती की लत
लग चुकी है।
केंद्र सरकार ने
नई पहल के
तहत एक तीर
से दो निशाने
साधने का प्रयास
किया है। तंबाकू
की खेती पर
अंकुश से एक
तो सेवन करने
वालों पर भी
प्रभाव पड़ेगा तो
दूसरी ओर यह
किसान अपने विचारधारा बदलकर
अच्छी फसलें उगाकर
अनाज उत्पादन में
सहयोगी बनेंगे।
इसलिए हानिकारण मानी
जा रही खेती
ग्रामीण क्षेत्रों में तंबाकू की
खेती और उत्पादन का
असर किसान परिवारों के
स्वास्थ्य पर भी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप
से पड़ता है।
इन परिवारों के
बच्चे भी छोटी
उम्र में ही
तंबाकू का सेवन
शुरू कर देते
हैं। शुरुआती दौर
का नशा फिर
आगे तक और
विकराल रूप लेता
जाता है। यही
नहीं इन खेतों
में दूसरी फसलों
पर भी तंबाकू
में पाने वाले
कई तरह के
अंश पहुंचने से
अनाज भी प्रभावित हो
जाता है।
जागरूकता और अनुदान से
बदली जाएगी सोच
तंबाकू किसानों से
परंपरागत खेती की लत
छुड़ाने के लिए
कृषि प्रसार विभाग
का मुख्य फार्मूला उन्हें
अच्छा लाभ दिलाने
वाली फसलों के
प्रति आकर्षित करना
है। इसके तहत
साल में तंबाकू
किसानों को वह खेती
छोड़ कम से
कम तीन फसलें
उगाने की सलाह
दी जाएगी। यही
नहीं उस क्षेत्र की
मिट्टी के अनुरूप
कृषि विविधिकरण के
तहत फसलों और
अच्छी प्रजातियों के
लाभ भी बताए
जाएंगे। यह सब डास्प
योजना के तहत
होगा। कार्यक्रम के
प्रभारी कृषि विशेषज्ञ मौहर
¨सह के अनुसार
पहल का उद्देश्य किसानों की
पुरानी मानसिकता को
बदलना है। सर्वे
के बाद प्रारंभिक तौर
पर काम शुरू
कर दिया है।
इन ग्रामों का
किया गया है
चयन
योजना के तहत
अलीगंज के नदराला,
डिवइया, ससौता, तमरौरा,
राई, जैथरा ब्लॉक
के बहगो, मोहकमपुर, पहरई,
नगला मोहन, अलीपुर,
शीतलपुर ब्लॉक में जमुलापुर, रसूलपुर, गढ़ौली,
क्यूरी, सकीट में
जैतपुरा, जलालपुर, सांथल, अवागढ़ में
नगला गरीबा सहित
दो दर्जन ग्राम
प्रथम चरण में
शामिल हैं। इसी
साल इन सभी
ग्रामों में किसानों को
प्रशिक्षण और प्रेरणा से
तंबाकू छोड़ अन्य
फसलों के लिए
प्रेरित किया जाएगा। शासन
की ओर से
बीज तथा कीटनाशक दवाओं
का अनुदान भी
मिलेगा।
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