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जेल में शिक्षामित्रों से मुलाकात के बाद सपा के एमएलसी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि जिन पुलिस कर्मचारियों ने लाठीचार्ज किया है उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए। जिस तरह से लाठीचार्ज हुआ है उससे लगता है सरकार ने स्वयं इसमें सहभागिता निभाई है। बुधवार को जेल के बाहर पत्रकारों से वार्ता करते हुए डा. असीम यादव ने कहा कि लोकतंत्र में कोई भी अपनी बात ज्ञापन के माध्यम से कह सकता है। इस सरकार में तो शिक्षमित्रों को ज्ञापन भी नहीं देने दिया गया। मंत्रीजी बैठे रहे और ज्ञापन तक नहीं लिया। जेल में बंद चार शिक्षामित्रों को अभी भी चोंटे है। एक शिक्षामित्र के तो आंख पर ही चोट है। इसके इलाज के लिए जेल अधिकारियों से कहा गया है। शिक्षामित्रों पर जो धाराए लगाई हैं वह गलत है। यह लोग कोई अपराधी नहीं है। जिसने भी इन लोगों पर लाठियां चलाई है उन पर मुक्दमा लिखा जाना चाहिए। विधान सभा में विपक्ष के सभी विधायकों को धरना देना पड़ा है। सरकार अंहकार में है। किसी की कोई बात नहीं सुन रही है। उन्होंने इस मामले की जांच रिपोर्ट पूर्व मुख्यमंत्री एवं पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपी जाएगी। जांच रिपोर्ट का निर्णय वहीं लेंगे। जेल में मुलाकात करने के बाद वर्मा नगर में घायल शिक्षामित्रों को देखने के लिए गए। एसएसपी अखिलेश कुमार चौरसिया तथा एडीएम प्रशासन से भी मुलाकता की। इस दल में डा. दिलीप यादव, डा. संजय लाठर, डा. राजपाल कश्यप, उदयवीर सिंह के अलावा सपा जिलाध्यक्ष अशरफ हुसैन, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव, पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव, पूर्व विधायक अमित गौरव यादव, पूर्व रणजीत सिंह सुमन, शराफत अली काले, सुनील यादव, अनिल प्रधान, राजू यादव के अलावा तमाम सपा नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे। एक घंटे जेल में किया इंतजार एटा। सपा एमएलसी दल जिस समय शिक्षामित्रों से मिलने के लिए पहुंचे थे उस समय शिक्षामित्र न्यायालय में पेशी पर गए थे। शिक्षामित्रों के जेल में होने पर नाराजगी जताई गई। न्यायालय से सभी 17 शिक्षामित्रों को जेल में बुलाया गया। इसी बीच करीब एक घंटे तक यह लोग जेल में बैठे इंतजार करते रहे। समायोजित शिक्षामित्रों के प्रति सरकार की नीयत अच्छी नहीं एटा। समाजवादी पार्टी सरकार ने शिक्षामित्रों को समायोजित कर सहायक अध्यापक बनाया। इसलिए प्रदेश में सत्तारूढ भाजपा की शिक्षामित्रों के प्रति नीयत ठीक नहीं है। इसलिए उसने सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई के दौरान शिक्षामित्रों के पक्ष में सबूत पेश नहीं किए। उसकी परिणति में जो फैसला आया है उससे समायोजित शिक्षामित्रों के साथ काफी बुरा हुआ है। शिक्षामित्रों आपबीती सुन रहे समाजवादी पार्टी के पांच विधान परिषद सदस्य डा. असीम यादव, डा. राजपाल कश्यप, डा. संजय लाठर, डा. दिलीप यादव, उदयवीर सिंह ने कहा कि शिक्षामित्रों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एक मामला और एटा में शिक्षामित्रों के साथ हुए अन्याय का है। उसको लेकर वह एसएसपी से मिलकर शिक्षामित्रों का पक्ष रखेंगे। साथ ही वापस लौटकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को रिपोर्ट देंगे। उसके बाद उनका जो निर्णय होगा। उसके अनुसार समाजवादी पार्टी कार्य करेगी। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि शिक्षामित्र समान कार्य का समान वेतन की मांग कर रहे हैं। जबकि प्रदेश सरकार ने 10 हजार रुपये मानदेय देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार एक षड़यंत्र के तहत शिक्षामित्रों को बाहर करना चाहती है। प्रतिनिधिमंडल को 8 अगस्त को एटा लोनिवि गेस्ट हाउस के बाहर हुई पुलिस पिटाई में घायल शिक्षामित्रों से मिले। यहां पर घायल शिक्षामित्र मनोज यादव, कश्मीरा देवी, लीलावती, किरन, संतोष, ममता, शशीवाला, नीलम, अर्चना शर्मा ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि राज्यमंत्री को ज्ञापन देने जाते समय पुलिस ने लाठीचार्ज के दौरान महिलाओं को सड़क पर डालकर पीटा। लाठीचार्ज में पुरुष पुलिस कर्मियों से महिलाओं को अत्यंत बुरी तरह पीटा। दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ दक्ष यादव, सुकलेश यादव, पुष्पेन्द्र शर्मा, सुद्योतकर यादव, पंकज चौहान, होशियार सिंह, आलोक मिश्रा, कृपाल सिंह, अखिलेश कुमार, विपिन कुमार, अनूप कुमार, अरविंद कुमार, रामनरेश, कैलाश बाबू, रमेश सिंह, रामबहादुर आदि शिक्षामित्र मौजूद रहे।
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